'कश्मीरी हो या हिंदू, हमें पूछ-पूछ कर पीटा, मुश्किल से बची जान'
बाबा के भक्तों ने जम्मू पहुंचने पर बताया कि आततायी पूछ-पूछ कर मार रहे थे कि अमरनाथ यात्री हो, हिंदू हो या कश्मीरी। वाहनों के नंबर देखकर पत्थर मारना शुरू कर देते थे। गालीगलौज भी कर रहे थे। बचने का कोई दूसरा रास्ता नजर नहीं आ रहा था, इसलिए गालियां भी सुनीं, बदसलूकी और मारपीट भी बर्दाश्त की। किसी तरह से सेना के कैंपों में पहुंचकर अपनी जान बचाई।
18 साल की सुहाना को अब भी सड़कों पर हर तरफ बिखरे पत्थर, घरों में लगी आग, पंजाबी ढाबों पर तोड़फोड़ और आग का मंजर याद आ रहा था। सहारनपुर की सुहाना अपने पूरे परिवार के साथ पहली बार अमरनाथ यात्रा पर गई थी। उसने बताया कि मनीगाम के पास अचानक से उन पर पथराव शुरू हो गया। कुछ युवक उनके पास आए और मारपीट शुरू कर दी। किसी तरह से उनके आगे हाथ जोड़कर आगे बढ़े और थोड़ी दूर सेना के कैंप में पहुंच कर जान बचाई।
अमरनाथ से लौटे गाजियाबाद के एक दल में शामिल कुलदीप कुमार ने बताया कि वह लोग तीन दिन बालटाल में रुके रहे। रात को 11 बजे उन्हें वहां से जाने को कहा गया। सोमवार को सुबह पांच बजे अनंतनाग के पास पहुंचे। यहां घात लगाकर बैठे पत्थरबाजों ने उनके वाहन पर पथराव शुरू कर दिया। इससे एक शीशा टूट गया।
राजस्थान से आए दीनानाथ ने बताया कि बालटाल से आते वक्त भी रास्ते में हर जगह पथराव किया गया। अब सेना भी वहां रुकने नहीं दे रही। रात को ही उन्हें वहां से जम्मू आने के लिए बोल दिया गया था। कई जगहों पर पत्थर फेंके गए।
अमरनाथ से लौटे गाजियाबाद के एक दल में शामिल कुलदीप कुमार ने बताया कि वह लोग तीन दिन बालटाल में रुके रहे। रात को 11 बजे उन्हें वहां से जाने को कहा गया। सोमवार को सुबह पांच बजे अनंतनाग के पास पहुंचे। यहां घात लगाकर बैठे पत्थरबाजों ने उनके वाहन पर पथराव शुरू कर दिया। इससे एक शीशा टूट गया।
राजस्थान से आए दीनानाथ ने बताया कि बालटाल से आते वक्त भी रास्ते में हर जगह पथराव किया गया। अब सेना भी वहां रुकने नहीं दे रही। रात को ही उन्हें वहां से जम्मू आने के लिए बोल दिया गया था। कई जगहों पर पत्थर फेंके गए।
ताउम्र नहीं भूलेगा घाटी का मंजर, मिलिट्री बेस कैंप में शरण मिलने पर बची थी जान
कश्मीर से लौटे यात्रियों ने बताया कि पहलगाम में अगर उनको मिलिट्री बेेस कैंप में शरण नहीं मिलती तो सुरक्षित जम्मू नहीं पहुंचते। घाटी मेें जो मंजर उन्होंने देखा है, उसको ताउम्र नहीं भुलाया जा सकता है।
नागपुर महाराष्ट्र के मंगेश निंबुलकर और विठल तेक ने बताया कि सात जुलाई को सभी ने अमरनाथ में बाबा बर्फानी के दर्शन किए। आठ जुलाई की शाम को पहलगाम पहुंचे। इससे पहले कि श्रीनगर के लिए निकलते अचानक हालात खराब हो गए। पहलगाम में पत्थरबाजों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प शुरू हो गई। समझ में नहीं आया कि अब कहां जाएं, लेकिन सबको मिलिट्री बेस कैंप में शरण मिल गई और सेना ने उनका पूरा ख्याल रखा।
नौ जुलाई का पूरा दिन और रात सेना के कैंप में बिताया और दस जुलाई की रात को चालक उनको लेकर निकल पड़ा। सड़क पर सिर्फ पत्थर व लकड़ियां दिखाई दे रही थीं, जिसके कारण चालकों के लिए वाहन चलाना मुश्किल हो रहा था।
भोपाल की मीरा बाई और अतुल ने बताया कि घाटी में फंसने के बाद का मंजर उनके लिए भुलाना मुश्किल है। उन्होंने सोचा भी नहीं था कि कभी यह दिन देखना पड़ेगा। रात के समय जब वाहन लेकर निकले तो लग रहा था कि अभी उनको प्रदर्शनकारी घेर कर हमला कर देंगे, लेकिन उनकी किस्मत अच्छी थी कि सभी सुरक्षित निकल आए।
नागपुर महाराष्ट्र के मंगेश निंबुलकर और विठल तेक ने बताया कि सात जुलाई को सभी ने अमरनाथ में बाबा बर्फानी के दर्शन किए। आठ जुलाई की शाम को पहलगाम पहुंचे। इससे पहले कि श्रीनगर के लिए निकलते अचानक हालात खराब हो गए। पहलगाम में पत्थरबाजों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प शुरू हो गई। समझ में नहीं आया कि अब कहां जाएं, लेकिन सबको मिलिट्री बेस कैंप में शरण मिल गई और सेना ने उनका पूरा ख्याल रखा।
नौ जुलाई का पूरा दिन और रात सेना के कैंप में बिताया और दस जुलाई की रात को चालक उनको लेकर निकल पड़ा। सड़क पर सिर्फ पत्थर व लकड़ियां दिखाई दे रही थीं, जिसके कारण चालकों के लिए वाहन चलाना मुश्किल हो रहा था।
भोपाल की मीरा बाई और अतुल ने बताया कि घाटी में फंसने के बाद का मंजर उनके लिए भुलाना मुश्किल है। उन्होंने सोचा भी नहीं था कि कभी यह दिन देखना पड़ेगा। रात के समय जब वाहन लेकर निकले तो लग रहा था कि अभी उनको प्रदर्शनकारी घेर कर हमला कर देंगे, लेकिन उनकी किस्मत अच्छी थी कि सभी सुरक्षित निकल आए।
पत्थरों से शीशे तोड़े, मारपीट कर ट्रक जलाने का प्रयास
कश्मीर हिंसा की मार से जम्मू से श्रीनगर गए ट्रक चालक भी नहीं बच पाए। तीन दिन बाद घाटी से लौटे जम्मू के नानक नगर के रहने वाले ट्रक चालक कमलजीत सिंह ने बताया कि उसने कैसे अपनी जान बचाई। कमलजीत सिंह का कहना है कि 8 जुलाई को बिजबिहाड़ा में शाम को जैसे ही पहुंचे तो एक टाटा सूमो से उतरे कुछ युवकों ने उसके ट्रक पर पथराव शुरू कर दिया। एक पत्थर शीशे को तोड़ता हुआ उसके चेहरे पर आकर लगा।
इसके बाद कुछ युवकों ने उसे ट्रक से नीचे उतारा और डंडों से पीटना शुरू कर दिया। इससे उसकी बाजू पर गहरी चोट आई। देखते ही देखते कुछ युवक आपस में ट्रक जलाने की बात करने लगे तो वह मुश्किल से वहां से भागा।
चालक का कहना है कि वह जम्मू से बड़गाम के लिए कोल्ड ड्रिंक और मिनरल वाटर का स्टाक लेकर गया था। कमलजीत का कहना है कि कश्मीर में हर तरफ सड़कें जले हुए टायर और पत्थरों से भरी पड़ी हैं। वह जम्मू के अन्य चालकों को भी पीट रहे हैं।
इसके बाद कुछ युवकों ने उसे ट्रक से नीचे उतारा और डंडों से पीटना शुरू कर दिया। इससे उसकी बाजू पर गहरी चोट आई। देखते ही देखते कुछ युवक आपस में ट्रक जलाने की बात करने लगे तो वह मुश्किल से वहां से भागा।
चालक का कहना है कि वह जम्मू से बड़गाम के लिए कोल्ड ड्रिंक और मिनरल वाटर का स्टाक लेकर गया था। कमलजीत का कहना है कि कश्मीर में हर तरफ सड़कें जले हुए टायर और पत्थरों से भरी पड़ी हैं। वह जम्मू के अन्य चालकों को भी पीट रहे हैं।
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